देश में पेट्रोल पंपों पर बिक्री 90% गिर गई; जून तक ऐसा रहा तो तैल की आयात में 2 लाख करोड़ रुपये की होगी बचत / रिपोर्ट स्पर्श देसाई




                मुंबई / रिपोर्ट स्पर्श देसाई

तालाबंदी का सबसे बुरा असर पेट्रोल पंपों पर पड़ा है। उनकी बिक्री में 90% तक की गिरावट आई है। दूसरी ओर कच्चे तेल की कीमत में गिरावट और मांग में गिरावट को सरकार के लिए राहत माना जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर लॉकडाउन जून तक बना रहता है, तो सरकार का तेल आयात बिल 25 से 30 % तक कम हो सकता है। जिससे लगभग दो लाख करोड़ रुपये की बचत होगी।

ऑल इंडिया पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन (एआईपीडीए) के अध्यक्ष अजय बंसल और सचिव गोपाल माहेश्वरी ने कहा, "देश में सरकारी कंपनियों के लगभग 68,000 पंप और निजी क्षेत्र में 10,000 पंप हैं। इन पंपों पर हर दिन औसतन 32.5 करोड़ लीटर डीजल और 10 करोड़ लीटर पेट्रोल बेचा जाता है। लॉकडाउन के कारण वे केवल 10% बिक्री होती हैं। विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा ने कहा कि देश कुल तेल बिक्री का 68% आयात होता है। वर्तमान में मांग कम है लेकिन लॉकडाउन के बाद पहले 4 से 6 सप्ताह में मांग 10 % बढ़ी थी । NITI Aayog के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि देश में मांग घटने के साथ कच्चे तेल की कीमत घटकर $ 27  per बैरल पर आ गई है। देश में साल 2018 -19  तेल आयात 112 बिलियन डॉलर यानि कि (7.78 लाख करोड़ रुपये) था। यदि लॉकडाउन जून तक रहता है तो कच्चे तेल का आयात 25-30 % तक गिर सकता है। इसका मतलब है कि एक लॉकडाउन लगभग 2 लाख करोड़ रुपये बच सकते है। इस बचत का उपयोग देश के अन्य उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।

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