इराक़ पर बड़े हमले की योजना बना रहा है अमरीका, निशाने पर हैं ईरान समर्थित फ़ोर्सेज़ / रिपोर्ट स्पर्श देसाई


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            【मुंबई / रिपोर्ट स्पर्श देसाई】


बहुत से लोग यह सवाल कर रहे हैं जिनमें हम नहीं हैं कि अमरीकी सरकार ने ईरान से प्रतिबंध हटाने के लिए दुनिया भर में उठ रही मांगों पर अपने कान क्यूं बंद कर लिए हैं?
इसी बीच अचानक न्यूयार्क टाइम्ज़ में यह ख़बर छपती है कि अमरीका इराक़ में बहुत जल्द स्वंयसेवी फ़ोर्सेज़ के ख़िलाफ़ बड़ा आप्रेशन कर सकता है ताकि ईरान को कमज़ोर करे क्योंकि यह ईरान समर्थित फ़ोर्सेज़ हैं और उनकी ताक़त बहुत बढ़ चुकी है। ट्रम्प प्रशासन की सोच है कि इस समय यह हमला किसी हद तक आसान होगा क्योंकि ईरान कोरोना वायरस की महामारी से निपटने में व्यस्त है।
न्यूयार्क टाइम्ज़ की रिपोर्ट के अनुसार पेंटागोन ने अपने वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों से कहा है कि वह आप्रेशन की योजना तैयार करें जिसके तहत हज़ारों सैनिकों को इराक़ भेजा जा सकता है।
दो हफ़्ते पहले बग़दाद के उत्तर में स्थित अलताजी छावनी पर अज्ञात इराक़ी संगठन के मिसाइल हमले में 2 अमरीकी और 1 ब्रितानी सैनिक की मौत और दस सैनिकों के घायल होने की घटना का इंतेक़ाम लेने के लिए ट्रम्प ने पेंटागोन और युद्ध मंत्री मार्क इस्पर को छूट दे दी है। दर असल कोरोना वायरस की रोकथाम में बुरी तरह नाकाम रहने के कारण ट्रम्प की इतनी अधिक आलोचना हो रही है कि वह बौखलाए हुए हैं। दूसरी ओर अमरीकी अर्थ व्यवस्था बुरी तरह संकट में फंस गई है। इस मामले में यह भी साबित हुआ कि अमरीका का पूरा हेल्ट सिस्टम बहुत कमज़ोर है क्योंकि अब अमरीका, चीन और यूरोप को पीछे छोड़कर महामारी का केन्द्र बन गया है। इन हालात में ट्रम्प को कोई न कोई विजय हासिल करने की बड़ी सख़्त ज़रूरत है।
इराक़ का हिज़्बुल्लाह संगठन, जिसे अमरीका ने अपनी कई छावनियों और दूतावास पर हमले के लिए ज़िम्मेदार ठहराया है, इस समय अमरीका के निशाने पर है। हिज़्बुल्लाह के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि अमरीका इराक़ में एक सुरक्षा एजेंसी की मदद से सैनिक विद्रोह करवाना चाहता है जिसमें हश्दुश्शअबी फ़ोर्स के ठिकानों पर वह सैनिक उतारने की कोशिश करेगा। हिज़्बुल्लाह ने कहा कि यदि अमरीका ने यह हमला किया तो पूरे इराक़ में अमरीका के हर ठिकाने पर हमला किया जाएगा।
इराक़ में अमरीकी एलायंस ने अपनी छावनियों में पैट्रियट मिसाइल स्थापित किए हैं क्योंकि एनुल असद छावनी पर ईरान ने बड़ा मिसाइल हमला करके भारी नुक़सान पहुंचा दिया था।
अमरीका के विदेश मंत्री माइक पोम्पेयो और युद्ध मंत्री मार्क इस्पर जो ईरान के ख़िलाफ़ जल्द से जल्द युद्ध छेड़ देने के लिए जुनून में पड़े हुए हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि कोरोना महामारी से लड़ते हुए ईरान कमज़ोर हो गया है और कोरोना संकट के साथ ही अमरीका की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों के कारण ईरान की अर्थ व्यवस्था बहुत कमज़ोर हो गई है। यही वजह है कि संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव और आठ देशों की ओर से मांग किए जाने के बावजूद अमरीका ईरान पर लगे प्रतिबंध हटाने पर तैयार नहीं हो रहा है।
अमरीका को इराक़ में बुरी तरह अपमानित और पराजित होना पड़ा था। उसने 6 ट्रिलियन डालर से अधिक रक़म बर्बाद की, अपने 3500 सैनिक गवांए और 33 हज़ार सैनिक घायल हो गए। इराक़ी राष्ट्र ने अमरीका की नाक ज़मीन पर रगड़ दी। अमरीका यह पराजय किसी तरह भी पचा नहीं पा रहा है ख़ास तौर पर इसलिए भी कि इस समय चीन बहुत तेज़ी से मज़बूत हो रहा है।
कोरोना ने ट्रम्प को पटख़नी दी है और उनका प्रशासन पूरी तरह फ़ेल साबित हुआ है। अब ट्रम्प प्रशासन दुनिया भर से डाक्टरों और नर्सों को लालच देकर बुलाने की कोशिश में है। जर्मनी की कंपनी को भी रिश्वत देने की कोशिश कर रहा था जो कोरोना के वैक्सीन पर काम कर रही है। इस स्थिति ने ट्रम्प को घायल भेड़िया बना दिया है जो हर तरफ़ हमले के लिए दौड़ता है।
इराक़ की प्रतिरोधक फ़ोर्सेज़ ने जार्ज बुश को पराजित किया, ओबामा को बिना शर्त अमरीकी सैनिक बाहर निकालने पर मजबूर कर दिया और अब वह ट्रम्प की दुर्गत करने के लिए तैयार है। हम इराक़ी राष्ट्र को बहुत अच्छी तरह पहचानते हैं। बस इंतेज़ार कीजिए और देखते जाइए । (लेखक अब्दुल बारी अतवान के एक लेख पर आधारित-अरब जगत के प्रख्यात लेखक व टीकाकार) ।


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