डूब रहा है सऊदी अरब का जहाज़ ! थपेड़ों से आस पास के देशों का भी होगा बेड़ा गर्क़ ! चौंकाने वाले आंकड़े / रिपोर्ट स्पर्श देसाई

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              【मुंबई / रिपोर्ट स्पर्श देसाई】


 सऊदी अरब की अर्थ व्यवस्था बहुत बड़े भंवर की ओर बढ़ रही है।
स्पूतनिक न्यूज़ एजेन्सी ने ब्लूमबर्ग के हवाले से बताया है कि फार्स की खाड़ी के तटवर्ती देश, एक समय थ जब तेल के बल पर खूब धन बटोरा लेकिन अब बहुत जल्द एक बड़ा आर्थिक संकट सऊदी अरब को अपनी लपेट में लेगा जिससे उसके आस पास के सारे देश प्रभावित होंगे।
     ब्लूमबर्ग में डेविड फेक्लिंग ने लिखा है कि इस समय तेल के बाज़ार में क़ीमत की जो लड़ाई जारी है वह सऊदी अरब को संकट के इस भंवर से अधिक निकट कर रही है और यह फार्स की खाड़ी के देशों की डांवाडोल अर्थ व्यवस्था का स्वाभाविक अंजाम है।
     सऊदी अरब का मुद्रा भंडार, धन दौलत, सोने का भंडार सब कुछ बड़ी तेज़ी से कम हो जाएगा और वह सब मिल कर सऊदी अरब के सकल घरेलू उत्पाद का मात्र एक दशमलव प्रतिशत रह जाएगा। यह एसी दशा में है कि जब सन 2018 तक यह सऊदी अरब के सकल घरेलू उत्पाद का 50 प्रतिशत भाग था।

अतंरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार गत सन 2014 से 2018 के बीच फार्स की खाड़ी के 6 राजशाही देशों की दौलन में आधा ट्रिलियन की कमी हुई और वह मात्र दो ट्रिलियन ही रह गयी।
     रिपोर्ट में बताया गया है कि अगर सन 2024 तक तेल की मांग अपने चरम पर नहीं पहुंची तो सऊदी अरब और उसके मित्रों का खज़ाना सन 2034 तक खत्म हो जाएगा। और अगर तेल की क़ीमत 20 डालर प्रति बैरल हो गयी तो फिर उनका खज़ाना और जल्द खाली होगा और सऊदी अरब और अन्य देश सन 2027 तक ही सड़क पर आ जाएंगे।
     आईएमएफ के अनुसार अगर तेल का मूल्य 50 से 55 डालर प्रति बैरल  के बीच रहा तो सऊदी अरब के पास सोने का भंडार सन 2024 तक इतना कम हो जाएगा कि उससे वह अपनी ज़रूरत की चीज़ों को केवल पांच महीने तक ही आयात कर पाएगा। Q.A.

रिपोर्ट स्पर्श देसाई √●Metro City Post # MCP●News Channel ◆ के लिए...

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