निर्भया रेप कांड : पवन जल्लाद ने चारों आरोपियों को फांसी देने का किया काम / रिपोर्ट स्पर्श देसाई
【मुंबई/ रिपोर्ट स्पर्श देसाई】
आखिरकार सात साल तीन महीने के लंबे इंतजार के बाद निर्भया के चारों दोषियों को फांसी पर लटका दिया गया। इन चारों पवन जल्लाद ने को फांसी देने का काम किया । जिसकी चार पीढ़ियां यही काम करती रही हैं। वो उत्तर प्रदेश सरकार की मेरठ जेल से जुड़ा अधिकृत जल्लाद है। उसे हर महीने एक तय रकम वेतन के रूप में भी मिलता है। पवन जल्लाद मेरठ का रहने वाला है। हालांकि इस शहर में उसे शायद ही कोई पहचानता हो। पार्ट टाइम में वो इस शहर में साइकिल पर कपड़ा बेचने का का काम करता है ।
भारत में इस समय इक्का-दुक्का अधिकृत जल्लाद ही बचे हैं, जो ये काम कर रहे हैं। पवन इस समय करीब 57 साल के हैं। फांसी देने के काम को वो महज एक पेशे के तौर पर देखते हैं। उनका कहना है कि कोई व्यक्ति न्यायपालिका से दंडित हुआ होगा और उसने वैसा काम किया होगा, तभी उसे फांसी की सजा दी जा रही होगी, लिहाजा वो केवल अपने पेशे को ईमानदारी से निभाने का काम करता है।
इस काम से जुड़े हुए पवन जल्लाद को चार दशक से कहीं ज्यादा हो चुके हैं। वह अपने दादा कालू जल्लाद के साथ फांसी के काम में उन्हें मदद करता था। कालू जल्लाद ने अपने पिता लक्ष्मण सिंह के निधन के बाद 1989 में ये काम संभाला था। कालू ने अपने करियर में 60 से ज्यादा लोगों को फांसी दी। इसमें इंदिरा गांधी के हत्यारों सतवंत सिंह और केहर सिंह को दी गई फांसी शामिल है। इससे पहले रंगा और बिल्ला को भी फांसी देने का काम कालू जल्लाद ने ही किया था।
पवन का दावा है कि उसके बाबा लक्ष्मण सिंह ने अंग्रेजों के जमाने में लाहौर जेल में जाकर भगत सिंह और उनके साथियों को फांसी दी थी। पवन के परिवार में नौ सदस्य है। बताया गया कि उनके सात बच्चे हैं। जिनमें पांच बेटी और दो बेटे हैं। वह चार बेटियों की शादी कर चुके हैं। अभी एक बेटी और दो बेटों की शादी होनी है। हालांकि ये तय है कि उनका बेटा जल्लाद नहीं बनने वाला, क्योंकि वो ये काम नहीं करना चाहता।
.गौरतलब है कि इन दरिंदों ने 16-17 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल छात्रा निर्भया से दुष्कर्म कर उसकी नृशंस हत्या कर दी थी। इसके अलावा पीड़िता को चलती बस से फेंक दिया था। इस दौरान पीड़िता को गंभीर चोटें आईं थी। सिंगापुर में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी।
उनके चारों आरोपियों को फांसी देने के बाद डॉक्टर ने चारों को मृत घोषित किया था । निर्भया के चारों दोषियों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए दीन दयाल उपाध्याय हॉस्पिटल (DDU) लाया गया था ।
सूत्रों के अनुसार निर्भया मामले के चारों दोषियों को शुक्रवार 20 मार्च की सुबह तिहाड़ जेल में फांसी दिए जाने के बाद डॉक्टर ने चारों को मृत घोषित किया गया था । निर्भया के चारों दोषियों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए दीन दयाल उपाध्याय हॉस्पिटल (DDU) लाया गया है। डॉ. बीएन मिश्रा की अगुवाई में पांच डॉक्टरों का मेडिकल पैनल दोषियों की अब आटॉप्सी होगी और इस पूरी प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग भी की जायेगी । पोस्टमार्टम के बाद दोषियों के शवों को उनके घरवालों को सौंपा जाएगा।
वहीं तिहाड़ जेल प्रशासन के मुताबिक दोषियों की ओर से जेल में कमाए गए पैसे को उनके परिवारवालों को दिये जाएंगें और इसके अलावा उनके कपड़े और सभी सामान भी परिवारवालों को दिए जाएंगे। बता दें कि चारों दोषियों- मुकेश सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को सुबह साढ़े पांच बजे तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी। अधिकारी ने बताया कि चारों दोषियों के शव करीब आधे घंटे तक फंदे पर झूलते रहे। जेल के महानिदेशक संदीप गोयल ने बताया कि डॉक्टर ने जांच की और चारों को मृत घोषित कर दिया था ।
निर्भया के चारों गुनाहगारों को एक साथ दी गई फांसी के बाद तिहाड़ जेल के बाहर लोगों ने जश्न मनाया था । उधर चारों आरोपियों के परिवार वालों ने नहीं किया शवों पर दावा, अब तिहाड़ में हो सकता है उन चारों के अंतिम संस्कार ।
इस तरह सात साल बाद देश की बेटियों को मिला न्याय । निर्भया के दोषियों को फांसी के फंदे पर लटकाया गया: हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट में रात साढ़े 3 बजे के बाद तक चली थी इस केस की सुनवाई ।
उधर फांसी के वक़्त जेल के बाहर "निर्भया अमर रहे" के लगे नारे । निर्भया की मां बोलीं थी, आखिर न्याय मिल ही गया । देश में पहली बार एक साथ चार लोगों को हुई हैं फांसी ।
रिपोर्ट स्पर्श देसाई √●Metro City Post # MCP●News Channel ◆ के लिए ...
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