यह लॉक-डाउन का क्या होता हैं अर्थ ? जाने.../ रिपोर्ट स्पर्श देसाई
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【मुंबई / रिपोर्ट स्पर्श देसाई】
हाल केदिनों में सबसे बुरा दृश्य रात 9 बजे देखने में आया वह यह था कि जनता कर्फ्यू का समय समाप्त होते ही लोग वाहनों को ले कर सैर-सपाटा करने निकाल पड़े। कई जगह तो समूह बना कर गरबा खेलते तक दिखलाई दिए ! यह बहुत नासमझी भरा कदम है। इस रोग का बचाव आपस में सुरक्षित (कम से कम 6 फिट) दूरी रखना ही है। याद रहे कि भारत की जनसंख्या 130 करोड़ है और अगर 1 प्रतिशत भी इस महामारी की चपेट में आने पाए तो स्थिति बेकाबू हो सकती । इस रोग का सबसे भयावह पहलू यह है कि इसके जलाल पर आने से व्यक्ति का श्वसन तंत्र बुरी तरह क्षतिग्रस्त होता है जिसके लिए वेन्टीलेटर (कृत्रिम स्वास यंत्र) की जरूरत होती है जो पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं होने से रोगी की मौत तय है।
आम जनता द्वारा इस तरह की गैर-जिम्मेदाराना हरकत के चलते ही देश के अनेक शहरों में सरकार ने “लॉक-डाउन” घोषित कर दिया है। यह एक तरह का अघोषित कर्फ्यू ही है। “लॉक-डाउन” की अवधि में सभी स्कूल, कॉलेज, दुकानें, कारखाने, बैंक, सरकारी कार्यालय, धार्मिक स्थान आदि बंद रहेंगे और आम जनता का घर से बाहर निकालना प्रतिबंधित होगा। केवल दैनिक आवश्यकता जैसे दूध, सब्जी, किराना और अखबार के विक्रय की छूट होगी और एक परिवार से एक ही व्यक्ति दिन में एक बार जाकर सामान ला सकेगा। यह ध्यान में रहे कि पुलिस आपसे पूछताछ करेगी और ऊंट-पटाँग जवाब देने पर बल-प्रयोग भी कर सकती है। आपको भी घर के सबसे निकट दुकान तक ही जाना है। इस अवधि में सारे सार्वजनिक वाहन बंद रहेंगे और निजी वाहन भी बहुत आवश्यक होने पर ही प्रयोग किए जा सकेंगे।
यह हम सबके संयम और अनुशासन की परीक्षा का समय है। आपको स्वयं तो इसका पालन करना ही है यदि कोई इसका उल्लंघन करता दिखे तो स्वयं अपने हित में उसका सबल प्रतिकार भी करना है। आइए हम सब प्रण करें कि अपने और परिवार के हित में पूरी अवधि हम घर से बाहर नहीं निकलेंगे। घर पर ही पूजा-पाठ करेंगे। मंदिर का घंटा, आरती, जल आदि संक्रमण के लिए सबसे सरल माध्यम हैं। अपने घर के बुजुर्गों और बच्चों का विशेष ध्यान रखें। उन्हें किसी भी स्थिति में घर से बाहर नहीं निकालने दें ! जरूरी सामान लेने के लिए भी नहीं।
रिपोर्ट स्पर्श देसाई ◆ √●Metro City Post # MCP●News Channel ◆ के लिए...
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