कमलनाथ का इस्तीफा, लेकिन भाजपा की राह नहीं होगी आसान / रिपोर्ट स्पर्श देसाई

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                【 मुंबई / रिपोर्ट स्पर्श देसाई】

 कमलनाथ के इस्तीफे से भाजपा खेमे में खुशी तो है लेकिन सरकार बनाने का रास्ता इतना आसान नहीं है । राज्यसभा चुनाव के बाद ही कांग्रेस खोलेगी अपने पत्ते ।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के इस्तीफा देने के साथ ही राज्य में 15 महीने पुरानी कांग्रेस सरकार का पटाक्षेप हो गया है ।  कमलनाथ के इस्तीफे से भाजपा खेमे में खुशी तो है  लेकिन सरकार बनाने का रास्ता इतना आसान नहीं है ।  नई सरकार बनने तक कमलनाथ कार्यवाहक सीएम बने रहेंगे लेकिन कांग्रेस इस कोशिश में लगी हुई है कि विधानसभा भंग करा कर चुनाव कराया जाए । 
क्या कांग्रेस अब विपक्ष में बैठेगी. कांग्रेस के एक बड़े नेता कहते हैं कि पार्टी की क्या करेगी इस पर विचार जारी है, फिलहाल राज्यसभा चुनाव होने तक पार्टी अपनी आगे की रणनीति को मूर्त रूप देगी ।  कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी की एक रणनीति यह है कि अपने सभी मौजूदा विधायकों का इस्तीफा सौंप दिया जाए लेकिन राज्यसभा के चुनाव होने तक पार्टी इस रणनीति पर अमल करने की स्थिति में नहीं है । विदित हो कि 26 मार्च को राज्यसभा के लिए चुनाव होने हैं कांग्रेस की पहली प्राथमिकता यह है कि यहां से राज्यसभा की सीट जीते ।
कमलनाथ सरकार गिरने के साथ ही भाजपा खेमें में खुशी तो है लेकिन पार्टी कोई जल्दबाजी करती नहीं दिख रही है । भाजपा नेताओं का कहना है कि पहली प्राथमिकता राज्यसभा चुनाव है ।
चुनाव संपन्न होने के बाद ही पार्टी अपनी तरफ से कोई पहल करेगी । गौरतलब है कि राज्य में भाजपा की सरकार बनाने से पहले पार्टी को विधायक दल की बैठक करा कर अपना नेता चुनना पड़ेगा । इसके बाद राज्यपाल से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश करना होगा । दावा पेश करने के बाद विधायक दल का नेता मुख्यमंत्री पद का शपथ लेगा और फिर विधानसभा का सत्र बुलाकर बहुमत साबित करेगा ।
यदि कांग्रेस यह फैसला करती है कि वह विपक्ष में बैठे तो उसे भी अपने विधायक दल का नेता चुनना होगा, लेकिन इस बात की संभावना कम है कि कांग्रेस विपक्ष में बैठे । कांग्रेस अपने सभी विधायकों का सामूहिक इस्तीफा राज्यपाल को सौंप कर विधानसभा भंग करने की मांग कर सकती है हालांकि राज्यपाल इस मांग को मानने के लिए बाध्य नहीं हैं लेकिन बिना विपक्ष के सरकार बनाना और चलाना नैतिक रूप से उचित नहीं दिखेगा इसलिए संभावना है कि विधानसभा भंग कर करने की मांग राज्यपाल मान लें ।
हालांकि, भाजपा नेता यह दावा कर रहे हैं कि कांग्रेस के विधायक समूहिक रूप से इस्तीफा दें इस बात की संभावना कम है । अभी 15 महीने पहले ही चुनाव हुए हैं और कोई भी विधायक दोबारा चुनाव में जाने के लिए तैयार हो लेकिन इन दावों के बावजूद यह नहीं कहा जा सकता है कि कांग्रेस ने सरेंडर कर दिया है । मध्य प्रदेश में सियासत का खेल जारी है और अभी पटाक्षेप नहीं हुआ है ।

रिपोर्ट स्पर्श देसाई √●Metro City Post ●News Channel के लिए...

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