सुप्रीम कोर्ट का आया बड़ा फैसला : BJP मंत्री को पद से हटाया गया, विधानसभा में भी जाने पर लगी रोक / रिपोर्ट स्पर्श देसाई




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              【मुंबई / रिपोर्ट स्पर्श देसाई】




सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसा फैसला सुनाया है, जिसे भारत की न्यायपालिका के इतिहास में काफी कम ही देखा गया है । सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर के मंत्री और बीजेपी नेता थोनाजम श्यामकुमार को तुरंत प्रभाव से मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया गया था ।साथ ही उनके विधानसभा में जाने पर भी रोक लगा दी गई है । सुप्रीम कोर्ट की तरफ से ये कड़ा फैसला इसलिए लिया गया, क्योंकि विधानसभा स्पीकर मंत्री के खिलाफ लंबे समय से फैसला नहीं ले रहे थे ।

स्पीकर को दिया गया था वक्त :

मंत्री की विधानसभा सदस्यता को अयोग्य घोषित करने के लिए स्पीकर को फैसला लेना था. इसके लिए स्पीकर को आदेश भी जारी किए गए थे । जिसमें कहा गया था कि वो चार हफ्तों में मंत्री की अयोग्यता पर फैसला लें ,लेकिन स्पीकर ने इसे लेकर कोई भी फैसला नहीं लिया । जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के आर्टिकल 142 के तहत अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल कर मंत्री को तत्काल प्रभाव से हटाने का फैसला दिया ।

थोनाजम श्यामकुमार मणिपुर की बीजेपी सरकार में वन मंत्री के तौर पर काम कर रहे थे । श्यामकुमार ने साल2017 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीतकर आए थे ,लेकिन बाद में पाला बदलकर बीजेपी में शामिल हो गए । जिसके बाद उन्हें बदले में वन मंत्री का पद दे दिया गया ।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर 21 जनवरी को सुनवाई कर स्पीकर को डेडलाइन दे दी थी ।
इस मामले पर कुल 13 याचिकाएं दायर की गईं थीं, जो अप्रैल 2017 से लंबित थीं । जिसके बाद जस्टिस आरएफ नरीमन और एस रविंद्र भट ने कोर्ट में कहा कि हम आर्टिकल 142 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर रहे हैं । टीएच श्यामकुमार कोर्ट के अगले आदेश तक विधानसभा में नहीं जा सकते हैं । इसके साथ ही उन्हें तत्काल प्रभाव से मंत्रीपद से हटाया जाता है ।
बेंच ने कहा कि अब इस मामले की अगली सुनवाई 30 मार्च को होगी । सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले 21 जनवरी को सुनवाई के दौरान संविधान की 10वीं अधिसूची का जिक्र करते हुए कहा था कि यह साफ है कि फैसला लेने के लिए पहले ही काफी वक्त लिया जा चुका है । स्पीकर के लिए एक महीने का वक्त काफी है, जिसमें वो अयोग्यता वाली याचिका पर अपना फैसला दे सकते हैं ।

स्पीकर का फैसला कितना निष्पक्ष?

इस केस के दौरान सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट की उस टिप्पणी का जिक्र किया, जिसमें कोर्ट ने स्पीकर के फैसले लेने की शक्तियों को लेकर भी सवाल खड़ा किया था । सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संसद को इस बात भी विचार करना चाहिए कि स्पीकर जो कि खुद किसी पार्टी से जुड़े होते हैं और उसके सदस्य होते हैं, क्या उन्हें सांसदों या विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लेना चाहिए? संसद को इसके लिए एक ट्रिब्युनल बनाने पर विचार करना चाहिए, जिसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज या हाईकोर्ट के रिटायर चीफ जस्टिस करें या फिर ऐसी ही कोई इंडिपेंडेंट बॉडी बनाए जो निष्पक्ष तरीके से अपना फैसला दें ।


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