कोरोना फैलाने का आरोप अमरीका पर क्यों लगाया जा रहा है? क्या ईरान के लिए खास किस्म का कोरोना वायरस बनाया गया है ?/ रिपोर्ट स्पर्श देसाई
【मुंबई / रिपोर्ट स्पर्श देसाई】
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने कहा है कि अमरीका नये कोरोना वायरस के उत्पादन का आरोपी है।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि अमरीकियों पर स्वंय ही इस वायरस के उत्पादन का आरोप है वैसे हमें यह नहीं पता कि यह आरोप किस सीमा तक सही है लेकिन इस आरोप के साथ कौन बुद्धिमान व्यक्ति, इस देश की मदद स्वीकार करेगा?
वरिष्ठ नेता नेता ने कहा कि अमरीकियों का कोई भरोसा नहीं क्योंकि यह भी हो सकता है कि वह ऐसी दवा भेज दें जिससे ईरान में कोरोना अधिक फैल जाए या अधिक दिनों तक रहे या यह भी हो सकता है कि वह कुछ लोगों को यह देखने के लिए भेजें कि उस वायरस का प्रभाव क्या है ? जिसके बारे में कहा जा रहा है कि वह केवल ईरान के लिए तैयार किया गया है ताकि इस बारे में अपनी जानकारियों पूरी करें और दुश्मनी और बढ़ा दें इस लिए अमरीकियों की बातों पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
अमरीका पर नया कोरोना वायरस बनाने के आरोप की शुरुआत, अमरीकी कांग्रेस से हुई जिसके दौरान सीडीसी के प्रमुख राबर्ट रेडफील्ड ने आशंका प्रकट की कि कुछ महीने पहले जिन लोगों के बारे में यह समझा जा रहा था कि वह इन्फ्लूंज़ा की वजह से मरे हैं, वास्तव में वह इसी कोरोना वायरस की वजह से मरे हों।
इस बात के दृष्टिगत कि फरवरी में सीडीसी की रिपोर्ट से पता चलता है कि सन 2019 की सर्दियों में कम से कम तीन करोड़ बीस लाख लोग इन्फ्लूंज़ा में ग्रस्त हुए थे और 18 हज़ार लोगों की मौत हो गयी थी इस लिए यह आशंका मज़बूत होती है कि कोरोना वायरस की नयी क़िस्म, चीन के वूहान से पहले की पैदा हो चुकी थी।
दूसरी तरफ यह भी आशंका प्रकट की जा रही है कि अमरीका ने कोरोना वायरस बना कर खिलाड़ियों की मदद से उसे वूहान भेज दिया हो जहां वह पूरी दुनिया में फैल गया।
अमरीकी सेना के खिलाड़ी कुछ महीने पहले सैनिक खिलाड़ियों के सातवें अंतरराष्ट्रीय मुकाबले में भाग लेने के लिए वूहान गये थे जिसके दौरान कई विदेशी खिलाड़ी संक्रमित हुए थे। यहां तक दिसंबर में वूहान में कोरोना का पहला मामला सामने आया।
कनाडा के एक स्टडी सेन्टर ने कुछ दिनों पहले एक ताइवानी वैज्ञानिक के हवाले से अपनी वेबसाइट पर लिखा था कि ईरान और इटली में नये प्रकार के कोरोना के जो जीन्स सामने आए हैं वह चीन के कोरोना के जीन्स से अलग हैं और इससे पता चलता है कि कोरोना की शुरुआत, ईरान, इटली या चीन से नहीं हुई है।
इसके अलावा वैज्ञानिक पत्रिका लैंसेट ने भी गत 24 जनवरी को अपने एक लेख में लिखा था कि वूहान के जीन इंग अस्पताल के सात डाक्टरों ने बताया है कि आरंभ में 41 संक्रमित लोगों में से 13 लोगों का वूहान में मांस के बाज़ार से कोई संपर्क नहीं था।
26 जनवरी को साइंस पत्रिका ने अपने एक लेख में बताया था कि वूहान में जानवरों का बाज़ार संभावित रूप से कोरोना का स्रोत नहीं है क्योंकि आरंभ में संक्रमित होने वाले 13 लोगों का किसी भी प्रकार स इस बाज़ार से कोई संबंध नहीं था और न ही वह कभी वहां गये थे इसका मतलब यह है कि कोरोना का स्रोत कहीं और है।
इस प्रकार की शंकाओं की वजह से ही चीन ने औपचारिक रूप से अमरीका पर यह आरोप लगाया है कि उसने कोरोना वायरस वूहान पहुंचाया है।
चीनी विदेशमंत्रालय की प्रवक्ता ने इस बात की आशंका प्रकट की थी कि कोरोना वायरस के फैलाव के पीछे, अमरीकी सेना का हाथ हो सकता है। उन्होंने ट्वीट किया था कि " सब से पहला रोगी अमरीका में कब सामने आया? कितने लोग संक्रमित हुए हैं? जहां उन्हें एडमिट किया गया है उन अस्पतालों के नाम क्या हैं? हो सकता है कि अमरीकी सेना, यह महामारी चीन के वूहान नगर ले आयी हो। "
विश्व स्वास्थ्य संगठन की बार बार की घोषणा और एक खास नाम होने के बावजूद जब अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प कोरोना को बार बार " चीनी वायरस" कहते हैं तो भी यही लगता है कि सुराग खत्म करने की कहीं कोशिश तो नहीं हो रही है?
बहरहाल यह सब तो अंदाज़े हैं सही बात का पता तो वैज्ञानिक ही लगा पाएंगे लेकिन अब तक अमरीका का जो रुख रहा है उससे तो यह निश्चित है कि कुछ पर्दे के पीछे ज़रूर है जिसे अमरीकी छुपा रहे हैं। Q.A.
रिपोर्ट स्पर्श देसाई √●Metro City Post # MCP● News Channel ◆ के लिए ...
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