भ्रष्टाचार मिटाने की कड़वी दवा, आखिर क्यों नहीं खोज रही है सरकार ? भ्रष्टाचारियों पर आखिर कार्यवाही कब...? / रिपोर्ट स्पर्श देसाई





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          【मुंबई/ रिपोर्ट स्पर्श देसाई】


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के लाख प्रयासों के बावजूद आज देश में भ्रष्टाचार की समस्या जस की तस बनी हुई है जो ये बताने के लिए काफी है कि देश की बदहाली का जिम्मेदार जितना तंत्र है उतनी ही आम जनता भी है।


देश सभी क्षेत्रों में प्रगति पथ पर अग्रसर दिखाई देता है, लेकिन भ्रष्टाचार पर हमारा सिर झुक जाता है. सरकार बदल जाती है, लेकिन भ्रष्टाचार के मामले सामने आते रहते हैं. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों और सीबीआई के प्रयत्नों का बावजूद उच्चतम स्तर पर भ्रष्टाचार के मामले उभरकर सामने आ जाते हैं. सबूतों के अभाव में अधिकांश दोषियों को दंड नहीं दिया जा सका है।

 संविधान में कानून के प्रावधान के बावजूद सजा नहीं मिलना भ्रष्टाचार को रोकने की नाकामी और इसके प्रति कमजोर इच्छाशक्ति को दर्शाता है।

सरकारी तंत्र ने ही कराया FIR, फिर भी नही हुई कार्यवाही । अभी हाल ही में चित्रकूट जिले के पहाड़ी ब्लाक के अंतर्गत आने वाले गांव देहरुच का मामला है। जहाँ पर ग्राम प्रधान,सचिव,तकनीकी सहायक और रोजगार सेवक मिलकर मनरेगा मजदूरों से काम न कराकर जेसीबी से खुदाई कराई जा रही थी,जहाँ पर ग्रामीण मजदूरों ने इसकी शिकायत जिला अधिकारी शेषमणी पांडेय से की थी जिस पर DM ने जांच के आदेश मुख्य विकास अधिकारी को सौंपा था ।मुख्य विकास अधिकारी डॉ महेंद्र कुमार ने टीम गठितकर जांच कराई ,जिस पर मनरेगा कार्यो पर मजदूरों से काम न कराकर जेसीबी के कराए जाने के साक्ष्य पाए गए थे,जिस पर पहाड़ी बीडीओ विपिन कुमार ने रैपुरा थाना में 420,409 के तहत मुकदमा 04 लोगो के खिलाफ पंजीकृत कराया था। लेकिन भ्रस्टाचारियो की जड़े इतनी मजबूत हो गयी है ,कि अभी तक इन चारों के खिलाफ कोई विशेष कार्यवाही नही हुई है। अब सवाल यह उठता है इन सभी व्यवस्थाओं पर सरकार को दोष दिया जाए या भ्रष्ट तंत्र को।  ये अपने आप मे एक बड़ा सवाल है।


आज भ्रष्टाचार भारत के सामने एक बड़ी चुनौती है ।
बीते एक वर्ष में बजाय सुधरने के यदि स्थिति और बदतर हुई तो इससे न खाऊंगा का प्रधानमंत्री जी का दावा भले ही अपनी जगह हो लेकिन न खाने दूंगा वाली हुंकार हवा में उड़कर रह गई है।
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के सर्वेक्षण का जो भी आधार रहा हो लेकिन उसे झुठलाने का नैतिक साहस इस देश में कोई भी नहीं कर सकता और यही सबसे बड़ी विडंबना है. उच्चस्तर पर विशेष रूप से केंद्र सरकार के मन्त्रियों पर अभी तक कोई दाग भले न लगा हो लेकिन राष्ट्रीय राजधानी से ग्राम पंचायत तक भ्रष्टाचार का गंदा नाला पूरे जोर से बह रहा है।

◆रिपोर्ट स्पर्श देसाई √●Metro City Post● News Channel●के लिए...







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