स्वदेशी का मतलब है मेड इन इंडिया / रिपोर्ट स्पर्श देसाई

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              【मुंबई / रिपोर्ट स्पर्श देसाई】




स्वदेशी का मतलब है मेड इन इंडिया । स्वदेशी उत्पाद का मतलब किसी भारतीय कंपनी द्वारा बेचा गया उत्पाद नहीं है । कई भारतीय कंपनियां हैं जो चाईना से आयात करती हैं और अपने ब्रांड नाम के तहत सामान बेचती हैं । स्वदेशी का मतलब है मेड इन इंडिया ।
कई विदेशी कंपनियाँ हैं जैसे कोका-कोला से लेकर Apple तक, जिनकी भारत में सेटअप विनिर्माण इकाइयाँ हैं ।उन्होंने भारत में निवेश किया है । नौकरियां पैदा की हैं और अपने उत्पादों को बेचते हैं । ये ऐसे उत्पाद हैं जिन्हें हमें प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि हर कोई भारत में बेचने के लिए भारत में निवेश करे । 

हमने अपनी बड़ी आबादी के कारण भारत में बड़ी घरेलू मांग का इस्तेमाल किया लेकिन उनमें से ज्यादातर सामान विदेशों में निर्मित होते हैं ,इसलिए अगर हम उन सामानों को खरीदते हैं, तो हम नौकरियों के निवेश पर हार जाते हैं ,इसलिए अगर कोई भारत में बेचना चाहता है - या तो वह मर्सिडीज है या एडिडास जूता है । उन्हें भारत में विनिर्माण शुरू करना चाहिए। 
फिर हम इसे खरीदते हैं - इस तरह हम आत्मनिर्भर हो जाएंगे और दुनिया को इन सामानों का निर्यात भी करेंगे ।भारत ने चाईना को 17 बिलियन डॉलर का माल भेजा है । हम चाईना से 75 बिलियन डॉलर मूल्य का सामान खरीदते हैं, इसलिए हमारा व्यापार घाटा 57 बिलियन है, इसलिए हम उनके 5 वें सबसे बड़े खरीदार हैं ।

 कल्पना कीजिए कि एक ऐसे देश को 57 बिलियन डॉलर देने वाले, जो संयुक्त राष्ट्र में हमारे विरोधी बनकर रहता है । चाईना हमें नष्ट करने के लिए हमारे ही पैसे का उपयोग कर रहे हैं और हम अभी भी उनके सामान खरीदते हैं क्योंकि वे हर जगह उपलब्ध हैं और वे सस्ते भी हैं । इस तरह से हम कभी भी आत्मनिर्भर नहीं बन सकते, सेटअप उद्योग नहीं करेंगे और रोजगार पैदा नहीं करेंगे क्योंकि हमें भारत में सस्ते माल का आयात करने और इसे खरीदने की आदत है । इन दिनों चाईना निर्माण भी नहीं करता है । यह इसे छोटे देशों के लिए भी आउटसोर्स करता है तो बांग्लादेश या वियेतनाम या इंडोनेशिया एडिडास के जूते या टॉमी हिलफिगर जीन्स बनाता है और उन्हें चाईना भेजा जाता है । जो इसे उन कंपनियों को वापस भेज देता है और यह उन कंपनियों को कभी भी भारतीय कंपनियों को ठेका नहीं देता है क्योंकि वे नहीं चाहते कि भारत उनका प्रतिस्पर्धी बने । एकमात्र तरीका जिसे हम रोक सकते हैं वह इस बात पर बहुत सावधानी बरत रहा है कि हम क्या खरीद रहे हैं और इसका निर्माण कहां किया जा रहा है  और भारत कैसे निर्माण शुरू कर सकता है?इसके लिए बुनियादी ढांचे की जरूरत है ।इसे तकनीक की जरूरत है । इसके लिए धन की जरूरत है ।मानव संसाधन की जरूरत है । भूमि सुधार और श्रम सुधार से विनिर्माण में आसानी की जरूरत है । Hon.PM कह रहे हैं मैं यह सब करूंगा । उनके लिए AatmaNirbhar Bharat में 5 स्तंभ हैं ।जिसके तहत  अर्थव्यवस्था, अवसंरचना, प्रणाली (प्रौद्योगिकी), Demography और माँग ।

 यह भारत का साल 1991 का क्षण हो सकता है । एफएम द्वारा घोषित सभी उपाय एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए हैं । जो बड़ी संख्या में रोजगार प्रदान करते हैं और हमारे द्वारा उपभोग किए जाने वाले लोकल सामान प्रदान करते हैं । अगर हम अपने कृत्य को एक साथ कर सकते हैं तो हम इस वैश्विक संकट का उपयोग कर भारत को दुनिया का विनिर्माण केंद्र बना सकते हैं क्योंकि हर देश चाईना से परेशान है और दूसरे देश पर दांव लगाना चाहता है ।

भारत के अलावा कौन इस मंत्र को ले सकता है लेकिन भारत चाईना नहीं है ।हम आज कल एक अराजक लोकतंत्र में रहते हैं । जिसके अंदर और बाहर भारत की बहुत सी शत्रु ताकते हैं ।चाईना हमें असफल बनाने के लिए उनका उपयोग करेगा । आइए, भारत विरोधी और चाईना के  जाल में न फँसें और भारत को सफल करें । इसके लिए सबसे जरूरी है अपनी इच्छाशक्ति मजबूत करें और अपने आप से शुरुआत करें । ऐसा एक मौके पर इंडिया ज्वेलर्स फोरम के चेयरमैन, राकेश कुमार ने बताया था ।

रिपोर्ट स्पर्श देसाई √●Metro City Post●News Channel●के लिए...


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