कोरोना के वैक्सीन निर्माण में भारत की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है / रिपोर्ट स्पर्श देसाई

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            【मुंबई / रिपोर्ट स्पर्श देसाई】


कोरोना के वैक्सीन निर्माण में भारत की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है । कुछ लोग इस बात पर आश्चर्य प्रकट करते हैं कि मैं ऐसा क्यो मानता हूँ । दरअसल ओर किसी ने नही स्वंय बिल गेट्स ने कोरोना वैक्सीन के मामले में भारत की महती भूमिका को तय किया है । दरअसल उसके तीन बड़े उप कारक हस्ती है । जिसके तहत देखें तो -

1) पहली है सौम्या स्वामीनाथन, 
सौम्या स्वामीनाथन इस वक्त विश्व स्वास्थ्य संगठन के डिप्टी जनरल के तौर पर नियुक्त है, यानी डब्ल्यूएचओ की दूसरी सबसे बड़ी स्थिति रखने वाला पद एक भारतीय के पास है । सबसे खास बात यह है कि साल 2017 में WHO के डिप्टी जनरल बनने से पहले सौम्या जी भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद यानी ICMR के महानिदेशक के रूप में कार्यरत थीं। यही वो वक्त था जब बिल एंड मिलेंड गेट्स फाउंडेशन पर ICMR से सांठगांठ कर भारत के टीकाकरण प्रोग्राम को प्रभावित करने के आरोप लगे थे और यह आरोप स्वदेशी जागरण मंच ने लगाए थे इन आरोपों को सही पाने के बाद सरकार ने बिल गेट्स फाउंडेशन के पर कतर दिए थे । सौम्या स्वामीनाथन भी कैरियर के शुरुआती दौर में एचआईवी और टीबी की जो बड़ी संक्रामक बीमारियां है उनकी प्रमुख शोधकर्ता रही हैं बिल गेट्स की संक्रामक बीमारीयो में पुरानी दिलचस्पी रही है । शायद तभी सौम्या स्वामीनाथन ओर बिल गेट्स आज कल नरेन्द्र मोदी की तारीफ करते पाए जाते हैं ।NDTV पर रवीश कुमार भी प्राइम टाइम में उन्ही से बात करते हैं । गौरतलब हैं कि सौम्या, एमएस स्वामीनाथन की बेटी हैं। यह वही स्वामीनाथन है जिन्हें भारत की हरित क्रांति का जनक माना जाता है। सौम्या की मां मीना स्वामीनाथन एक प्रसिद्ध शिक्षाविद हैं। जो लोग इस तरह की लॉबिंग को समझना चाहते है वो दो दिन पहले लिखा जॉन पर्किन्स पर लिखा लेख पढ़ सकते हैं

2) दूसरी उपकारक भी एक महिला ही है :
गगनदीप कंग उनका नाम है । वैरोलॉजिस्ट और वैज्ञानिक गगनदीप कंग को रॉयल सोसाइटी (FRS) का फेलो चुना गया है। वे इस सम्मान को प्राप्त करने वाली पहली भारतीय महिला वैज्ञानिक हैं । गगनदीप ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (THSTI), फरीदाबाद के कार्यकारी निदेशक हैं और विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO के दक्षिण पूर्व-एशिया के टीकाकरण तकनीकी सलाहकार समूह की अध्यक्ष रही हैं। गगनदीप जी ने राष्ट्रीय रोटावायरस और टाइफाइड निगरानी नेटवर्क का निर्माण किया है। उन्होंने टीके का परीक्षण का समर्थन करने के लिए प्रयोगशालाओं की स्थापना की है। वे वैक्सीन के चरण 1-3 नैदानिक परीक्षणों के आयोजन में शामिल रही हैं। उनकी इसी खूबी के चलते बिल गेट्स ने उन्हें कोरोना वैक्सीन से जुड़े एक बड़े महत्वपूर्ण संगठन CEPI में वाइस चेयरमैन पद पर भी नियुक्त करवा दिया ।

टीम कोएलिशन फॉर एपीडेमिक प्रीपेयर्डनेस इनोवेशंस CEPI का गठन 2017 में बिल गेट्स के सहयोग से उस वक्त किया गया था । जब पश्चिम अफ्रीका में जानलेवा इबोला कहर बरपा रहा था। इस संस्था ने जैव तकनीकी शोधों के लिए वैज्ञानिकों पर बेइंतिहा पैसे खर्च किए थे।
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है यह संगठन मौजूदा दौर की खतरनाक बीमारियों के लिए तेजी से वैक्सीन तैयार करता है। कोरोना वायरस के टीके बनाने के लिये यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड और अमेरिका – बेस्ड बायोटेक कंपनी मोडेर्ना को फंड उपलब्ध करा रही है । जिन्होंने 06 हफ्तों में एक टीका तैयार कर लिया है। इन टीकों का क्लीनिकल ट्रायल किया जायेगा। 

इस संगठन की वाइस चेयरमैन गगनदीप वायरलोजिस्ट है  । वह अभी संक्रमण और शारीरिक और संज्ञानात्मक विकास के बीच जटिल संबंधों की पर शोध कर रही है। ओर बिल गेट्स की टीम की एक महत्वपूर्ण सदस्य हैं

3) तीसरा उपकारक :  जो बहुत महत्वपूर्ण है । कुछ मित्र पूछ रहे हैं कि मोदी विदेशी वस्तुओं के आयात की मनाही कर रहे हैं तो कोरोना वैक्सीन तो आयात करनी ही होगी ।दरअसल वह नही जानते कि भारत आयात नही करेगा बल्कि दुनिया को वैक्सीन निर्यात करेगा ।

तीसरा उपकारक है पुणे का सिरम इंस्टिट्यूट :
दुनिया भर में डोज़ के उत्पादन और बिक्री के लिहाज़ से सिरम इंस्टिट्यूट दुनिया का सबसे बड़ा टीका निर्माता है । हर साल करीब 15 लाख डोज़ की डील करती है । जिसके पुणे में दो मुख्य प्लांट हैं और नीदरलैंड व चेक गणराज्य में इसके प्लांट हैं साथ ही, 53 साल पुरानी इस कंपनी में करीब 7 हज़ार कर्मचारी काम करते हैं । यह कंपनी 165 देशों को करीब 20 टीकों का निर्यात करती है । इस कंपनी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह कम कीमतों पर दवाएं मुहैया कराती है ।

बिल गेट्स फाउंडेशन अपनी वेबसाइट पर इनके बारे में लिखते है कि 'पुणे में सीरम इंस्टीट्यूट एक संस्था है ।जिसके साथ हम करीबी रूप से काम करते हैं। सन 1966 में स्थापित, सीरम विश्व में किसी अन्य टीका उत्पादक के मुकाबले अधिक खुराकें पहुंचाती है। यह अनुमान लगाया गया है कि विश्व के दो तिहाई बच्चों को सीरम इंस्टीट्यूट के टीके की कम से कम एक खुराक प्राप्त होती है।'

यानी कि सब प्लान किया जा चुका है बिल गेट्स सारे पपलू अपनी अपनी जगह सेट कर चुके हैं, बस वैक्सीन के बनने के ग्रीन सिग्नल देने का इंतजार हो रहा है ।


रिपोर्ट: स्पर्श देसाई √●Metro City Post● News Channel● के लिए...









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