मोदी जी के '20 लाख करोड़ के पैकेज' का खुमार अब उतरना शुरू हो गया हैं / रिपोर्ट स्पर्श देसाई

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                  【मुंबई / रिपोर्ट स्पर्श देसाई】


मोदी जी के '20 लाख करोड़ के पैकेज' का खुमार  अब उतरना शुरू हो गया हैं । वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन
से लोगो को वाकई बड़ी उम्मीद थी लेकिन अफसोस वही ढाक के तीन पात । 
अर्थशास्त्रियों टाइप की बाते नही करते सीधे आपकी हमारी बात करते है । आपको वित्त मंत्री की घोषणा में अपने लिए आम आदमी के लिए कोई सीधा बेनिफिट मिलते हुए दिखा ?.......जवाब है... बिलकुल नही दिखा !। सरकार ने अभी तक सीधे तौर पर कितना रुपया इंडस्ट्रीज को दिया है ? जिससे वो आपकी तनख्वाह देने के बारे में सोच पाए?..... जवाब है .....एक रुपया भी नही दिया । जो भी बात की है वो लोन लेने की बात है ।एमएसएमई को तीन लाख करोड़ रुपये का लोन दिया जाएगा ओर 31 अक्तूबर से लोन मिलेगा। आज क्या मिलेगा? बताईये?.........जो मिल रहा है उसे मैं लिखूंगा नही ,बेअदबी हो जाएगी । सबको पता है जब छोटा मोटा व्यापारी बैंक बिना कोलेटरल वाला लोन मांगने बैंक के पास जाएगा तो बैंक वाले उसे कैसा भगाएंगे? वो लिखने का कोई फायदा नही है, सब व्यापारी जानता है ऐसे लोन लेने के लिए कितना पैसा खिलाना पड़ता है ।
छोटा व्यापारी ओर छोटा उद्योगपति अच्छी तरह से इन घोषणाओं का अर्थ समझता है । वो जानता है कि 'न नो मन तेल होगा न राधा नाचेगी । साफ और सीधी बात है कि आज सबसे ज्यादा जरूरत थी गरीब आदमी को सीधी मदद किये जाने की । आज जो गरीब घरों के हालात है ।वह भयावह हो चले है । सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) का सर्वे आया है ।वह बता रहा है कि लॉकडाउन एक हफ्ते और आगे बढ़ा, तो भारतीय परिवारों में से एक तिहाई से अधिक के पास जीवनयापन के लिए जरूरी संसाधन खत्म हो जाएंगे। सीएमआईई के चीफ इकनॉमिस्ट कौशिक कृष्णन ने कहा, ‘अगर पूरे देश की बात करें तो 34 फीसदी घरों की स्थिति खराब हो चुकी है। उनके पास एक हफ्ते के लिए जीवन जीने के जरूरी संसाधन बचे हैं। एक हफ्ते के बाद उनके पास कुछ भी नहीं बचा होगा।’ शहरी इलाकों में 65 फीसदी परिवारों के पास 1 हफ्ते से अधिक के लिए जीने के संसाधन बचे हैं, जबकि ग्रामीण घरों में 54 फीसदी लोगों ने कहा कि उनके पास 1 हफ्ते से अधिक के लिए जीने के संसाधन बचे हैं । भारत के 84 फीसदी से ज्यादा घरों की मासिक आमदनी में गिरावट दर्ज की गई है। देश में कामकाजी आबादी का 25% हिस्सा इस समय बेरोजगार हो चुका है। ऐसे लोगों को तुरंत बिना ना नुकर के मदद किए जाने की जरूरत है।ऐसे लोगों को जल्द नकदी ट्रांसफर करने की जरूरत है । नही तो बहुत बुरी स्थिति आ जाएगी लेकिन सरकार को आज भी आंकड़ो की बाजीगरी दिखाने से फुर्सत मिले तो, तो कुछ इनके बारे में सोचे ।



रिपोर्ट स्पर्श देसाई √●Metro City Post● News Channel●के लिए...

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