किसी भी चुने गए ग्राम प्रधान को बिना जांच वित्तीय अधिकार से वंचित नहीं कर सकती सरकार: इलाहाबाद हाई कोर्ट / रिपोर्ट स्पर्श देसाई
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【मुंबई / रिपोर्ट स्पर्श देसाई】
किसी भी चुने गए ग्राम प्रधान को बिना जांच वित्तीय अधिकार से वंचित नहीं कर सकती सरकार। ऐसा इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि प्रारंभिक जांच किए बिना किसी निर्वाचित ग्राम प्रधान के वित्तीय अधिकार सीज नहीं किए जा सकते हैं। कोर्ट ने बलिया के मुरलीछपरा ब्लाक के डककी गांव सभा के निर्वाचित प्रधान स्वामी नाथ यादव के वित्तीय अधिकार सीज कि जाने पर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है।
साथ ही अधिकार सीज करने संबंधी जिला पंचायती राज अधिकारी के 24 अप्रैल 2020 के आदेश पर रोक लगा दी है। स्वामी नाथ यादव की याचिका पर न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने सुनवाई की। याची के अधिवक्ता निर्भय कुमार भारती का कहना था कि स्थानीय सांसद की शिकायत पर बिना कोई जांच किए जिला अधिकारी और जिला पंचायती राज अधिकारी ने याची के वित्तीय अधिकार जब्त कर लिए।
जब कि पंचायती राज अधिनियम के प्रावधान के तहत उनको ऐसा करने का अधिकार नहीं है। क्योंकि याची के खिलाफ मिली शिकायत की कोई प्रारंभिक जांच भी नहीं की गई। कोर्ट ने कहा कि प्रारंभिक जांच किए बिना अधिकार नहीं सीज किए जा सकते हैं। प्रदेश सरकार से इस मामले में जवाब मांगते हुए अधिकार सीज करने के आदेश पर रोक लगा दी है।
★ब्यूरो रिपोर्ट : स्पर्श देसाई √●Metro City Post●News Channel●
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