आयकर Income Tax धारा 80सी Sec80C : जानिए वो सब जो आप जानना चाहते है / रिपोर्ट स्पर्श देसाई

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          【मुंबई / रिपोर्ट स्पर्श देसाई】


आयकर अधिनियम के तहत टैक्सपेयर्स को टैक्स बचाने के लिए कई तरह की सहूलियतें दी गई हैं। ऐक्ट की धारा 80 सी से लेकर 80 टीटीबी तक कई तरह के टैक्स एग्जेम्पशन्स दिए गए हैं।
भारतीय आयकर अधिनियम (Income Tax Act) की धारा 80 C और इससे संबंधित धाराएँ 80 CCC एवं 80 CCD के तहत किसी भी व्यक्ति और संयुक्त हिन्दू परिवार(HUF) को एक फाइनेंशियल वर्ष के टैक्स में 1,50,000 रुपए तक की छूट मिल सकती है। यह छूट कंपनी, कॉर्पोरेट, साझेदारी (पार्टनरशिप) आदि में को नहीं मिलती है। आप अपने इस छूट के लिए आयकर रिटर्न (इन्कम टैक्स रिटर्न) को हर साल 31 जुलाई से पहले फाइल कर सकते हैं।
हम बात करेंगे सेक्शन 80 सी के तहत मिलने वाली छूटों पर-

धारा 80 सी आयकर अधिनियम 1961. की धारा 80 सीआयकर आयकर अधिनियम के कर बचत वर्गों में से एक है जो निवेश पर INR 1,50,000 तक कर कटौती की अनुमति देता है।

आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत अलग-अलग तरह के निवेश पर टैक्स छूट दी जाती है। जिस निवेशों आप पर इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर टैक्स एग्जेम्पशन क्लेम कर सकते हैं।

धारा 80 सी के तहत कितनी मिलती है छूट?
धारा 80 सी के तहत 1,50,000 रुपये तक के निवेश पर टैक्स छूट ली जा सकती है। सीधे शब्दों में कहें तो धारा 80 सी के तहत अलग-अलग तरह के निवेश कर आप अपनी कुल कर योग्य आय में से 1,50,000 रुपये अधिकतम तक कम करवा सकते हैं। यह टैक्स छूट किसी व्यक्ति या हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली (एचयूएफ) को मिलती है।

जो रकम (अमाउंट) आप इस धारा के तहत क्लेम करते हैं उसे आपकी ग्रॉस टोटल इनकम से कम कर दिया जाता है, जिससे इन्कम टैक्स को आसानी से कैलकुलेट किया जा सके। जैसे- आपकी ग्रॉस टोटल इनकम 10 लाख रु. है एवं आपने धारा 80 C के तहत 1.5 लाख रु. के छूट के लिए क्लेम किया है, तो आपकी टैक्सेबल इनकम  (जिस पर टैक्स लगेगा) 8.5 लाख बन जाएगी।

धारा 80 C, 80 CCC और 80 CCD के तहत छूट
इस कैटेगरी के तहत होने वाली छूट धारा 80 C, 80 CCC एवं 80 CCD के अंतर्गत आती हैं।  धारा 80 C में म्यूचुअल फंड, प्रीमियम बीमा टैक्स- सेवर फिक्स्ड डिपॉजिट, पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), आदि सेवाएँ आती हैं। धारा 80 CCC के अंतर्गत कुछ खास पॉलिसी आती हैं जो पेंशन एवं एन्युटी के लिए भुगतान करती है ।  80 CCD के तहत भारतीय पेंशन सिस्टम(NPS) आता हैं।

धारा 80 C की सीमा
धारा 80 C के अंतर्गत अधिकतम टैक्स बचत की सीमा 1.5 लाख रुपए है। इस धारा के अंतर्गत, कोई भी निर्धारित न्यूनतम सीमा नहीं है।

धारा 80 C की योजनाएँ ।

निवेश संबंधित योजनाएँ – ELSS म्यूचुअल फंड, यूनिट लिंक्ड इन्शयोंरेंस पॉलिसी  (ULIPs)।

बीमा योजना :- टर्म बीमा प्लान, एंडोमेंट बीमा।

रिटायरमेंट बचत योजनाएँ :- पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), भारतीय  पेंशन सिस्टम (NPS), कर्मचारी भविष्य निधि (EPF)।

निर्धारित आय योजनाएँ :- नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC), सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (SCSS),  सुकन्‍या समृद्धि योजना।

अन्य योजनाएँ :- घर के लिए लोन री-पेमेंट (होम लोन), ट्यूशन फीस का भुगतान।

योग्यता ।

इस धारा के तहत कोई भी व्यक्ति एवं संयुक्त हिन्दू परिवार छूट के लिए दावा कर सकता है।  यह छूट कंपनी, कॉर्पोरेट, साझेदारी (पार्टनरशिप) आदि को नहीं मिलती है।

इस धारा के तहत निम्नलिखित प्रकार से छूट होती हैं- 

जीवन बीमा योजना – आपके या आपके परिवार के किसी सदस्य के लिए होती है। अगर यह सिंगल प्रीमियम पॉलिसी हैं तो आप पॉलिसी शुरू होने के 2 साल तक इसे बंद नहीं कर सकते । अगर यह मल्टीपल प्रीमियम पॉलिसी हैं तो आपको 2 साल तक का प्रीमियम भरना होगा। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आपको इस धारा के तहत मिलने वाली छूट नहीं दी जाएगी। यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस पॉलिसी  (ULIPs) भी धारा 80 C के तहत टैक्स छूट के लिए मान्य है ।

रिटर्न पर टैक्स :

जिन जीवन बीमा योजना पॉलिसी में बीमा कवर सालाना प्रीमियम के 10 गुना है इस योजना को  धारा 10 (10) D  के अंतर्गत  भारतीय आयकर अधिनियम  के तहत टैक्स से छूट मिलेगी ।

ELSS म्यूचुअल फंड में निवेश – ELSS म्यूचुअल फंड की अवधि 3 साल की होती है एवं अपने हिस्से में से 80% स्टॉक में निवेश करता हैं ।

 रिटर्न पर टैक्स : 3 साल से ज्यादा का निवेश करके 1 लाख रुपये कमाने पर 10%  टैक्स लगता हैं।

पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) : यह भारतीय सरकार द्वारा बचत के लिए एक योजना है जो भारतीय सरकार द्वारा निर्धारित ब्याज दर पर कार्य करती है । आप बैंक एवं पोस्ट ऑफिस के द्वारा निवेश कर सकते हैं । यह योजना 15 साल के लिए होती है।

रिटर्न पर टैक्स : PPF रिटर्न टैक्स की दरों से बाहर होते हैं। हालांकि, आपको अपनी इनकम टैक्स रिटर्न में हर साल PPF को घोषित करना पड़ता हैं।

कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) : EPF अकाउंट में कर्मचारियों द्वारा जमा हुए पैसे धारा 80 C के तहत छूट के लिए मान्य है । कंपनी द्वारा योगदान टैक्स से मुक्त होता है, लेकिन यह धारा 80 C के तहत छूट के लिए मान्य नहीं है।

रिटर्न पर टैक्स : EPF की ब्याज दर टैक्स फ्री होता है। लेकिन, अगर आप EPF रजिस्टर्ड कंपनी में काम करना छोड़ दें तो इस पर टैक्स लगना शुरू हो जाएगा। यदि आप 5 साल से पहले EPF अकाउंट से पैसे निकाल लें तो आपके EPF में मिलने वाले ब्याज पर टैक्स लगेगा।

टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट(FDs) : बैंक एवं पोस्ट ऑफिस में  5 साल के लिए किए गए टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट(FDs) टैक्स  छूट के लिए मान्य होते हैं ।

रिटर्न पर टैक्स : ऐसे फिक्स्ड डिपॉजिट(FDs) पर मिलने वाले ब्याज में निर्धारित पर टैक्स लगता है ।

भारतीय  पेंशन सिस्टम (NPS) : NPS छूट धारा  80 CCD (1) एवं (2) के तहत आता है। धारा 80 C के तहत कर्मचारी एवं कंपनी द्वारा दोनों योगदान पर टैक्स छूट मिलती है। इस धारा का लाभ उठाने के लिए कर्मचारी की बेसिक सैलरी + महंगाई भत्ता 10% से अधिक नहीं होना चाहिए। स्वयं रोजगार(अपना बिजनेस करने वाला) व्यक्ति भी इसका लाभ उठा सकता है, अपनी कुल इनकम में से 20% तक आपको NPS में देना होगा ।

इसके साथ ही, (NPS)  भारतीय  पेंशन सिस्टम में 50,000 रु. तक के अपनी इच्छा से किए गए योगदान को धारा 80 C के अंतर्गत 1.5 लाख रु. से अधिक की छूट दी जाती  है। अपनी इच्छा से किया हुआ योगदान (वोलंटरी योगदान) धारा 80 CCD (1 B) के अंतर्गत आते हैं।

रिटर्न्स पर टैक्स:-  एनपीएस रिटर्न्स पूर्ण (मैच्यौर) होने तक टैक्स मुक्त/फ्री होते हैं । पूर्ण होने पर, सिर्फ 40 % ही टैक्स मुक्त/फ्री होता है।

नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NPS):-  सरकार द्वारा बचत के लिए बनाया गया प्रोग्राम है जो 5  साल के लिए होता है। इस सर्टिफिकेट पर ब्याज, धारा 80 C के तहत टैक्स छूट के लिए मान्य है ।

रिटर्न्स पर टैक्स:- नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट पर ब्याज, धारा 80 सी के तहत टैक्स छूट के लिए मान्य है।

सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (SCSS) :- यह सरकार द्वारा बचत के लिए एक योजना है जो 5 साल तक के लिए होती है , लेकिन इसे 3 साल के लिए और आगे बढ़ाया जा सकता है।

रिटर्न पर टैक्स :- सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (SCSS) पर पूर्ण रूप से निर्धारित टैक्स लगता है ।

सुकन्या समृद्धि योजना :- यह सरकार द्वारा कम उम्र लड़कियों के लिए बचत योजना है । इस योजना को 10  साल से कम उम्र की लड़की के माता-पिता द्वारा शुरू किया जाता है। यह योजना 21 वर्ष के लिए होती है या फिर जब लड़की की आयु 18 से अधिक हो जाए या फिर जब उसकी शादी हो।

रिटर्न पर टैक्स: सुकन्या समृद्धि योजना पर मिलने वाले रिटर्न्स टैक्स मुक्त होते हैं।

ट्यूशन फीस : यह सिर्फ 2 ही  बच्चों के लिए मान्य होती है।  यह स्कीम किसी भी स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय आदि में मान्य होती है।

होम लोन – री-पेमेंट ।

स्टाम्प ड्यूटी/फीस : घर प्रॉपर्टी को अपने नाम पर ट्रांसफर करना।
आखिर में ।

निवेश: 5 साल के टैक्स सेवर फिक्स्ड डिपाजिट (FD) में।


★ब्यूरो रिपोर्ट स्पर्श देसाई √●Metro City Post●News Channel●






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